Makar Sankranti 2019-2020 |
Makar Sankranti 2019-2020
Makar Sankranti 2019-2020 is among the most auspicious occasions for Hindus and is celebrated in almost all parts of India It is a harvest festival and is celebrated in many cultural forms with immense devotion, fervor, and cheerfulness. The festival is celebrated on 14th January and is probably the only Indian festival whose date always falls on the same day every year with just a few exceptions.
The festival of Makar Sankranti 2019-2020 marks the change in the Sun in Makari Rashi (Capricorn) on its celestial path. The festival is highly respected by Hindus from North India to down in South India. The day is also known by various names and different traditions.
makar Sankranti festival information |
makar Sankranti festival information
Event Makar Sankranti
Location All over India
Category Festival
Date January Jan 14, 2019
Main Attractions The different attractions Also, the day of Makar Sankranti is considered to be auspicious and meritorious.
Makar Sankranti 2019-2020 is considered as one of the most auspicious days for Hindus. The festival is celebrated in different parts of India. Thousands of people take a dip in river Ganga and pray to the Sun God The southern parts of India also celebrated the Festival as Pongal and in Punjab as Maghi. In Gujarat, celebrations are huge as people offer colorful oblations to the Sun in the form of beautiful kites. It stands as a reason for their beloved God
In rural and coastal areas, cockfights are held as an important event of the festival. As the festival is celebrated in winter, food is ready Laddu of Til (Sesame) made with the festivals specialty The festival of Makar Sankranti also honors and sends the respect to Saraswati - Goddess of Knowledge. Makara Sankranti represents a period of illumination, peace, affluence, and happiness.
Many Melas or fairs are also held on Makar Sankranti 2019-2020 The most famous among them is Kumbh Mela which is held in every holy year, namely Haridwar, Prayag (Allahabad), Ujjain and Nashik. The Magh Mela (or mini-Kumbh Mela) held annually at Prayag, the Gangasagar Mela (held at the head of the Ganges River), Tusu Mela in parts of Jharkhand and West Bengal, Makar Mela in Orissa, etc. are some of the other fairs celebrated on this day.
Essay Makar Sankranti in Hindi And English |
Essay Makar Sankranti in Hindi And English
इस मकर संक्रांति 2019 को अपने लोगों को सुंदर और अच्छा मकर संक्रांति WhatsApp और Facebook स्थिति अपडेट करें। यह त्योहार पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इन कुछ वर्षों में मकर संक्रांति पर अपने रिश्तेदारों और दोस्तों तक पहुंचने के लिए WhatsApp, Facebook और अन्य सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों की मदद लेते हैं। यह उन्हें खुशी देता है और अधिक से अधिक लोगों को जल्द से जल्द अपनी शुभकामनाएं पहुंचाते हैं।
Make this Makar Sankranti 2019-2020 your people beautiful and good Makar Sankranti WhatsApp and Facebook status updates. This festival is celebrated with great enthusiasm throughout India. In these few years, Makar Sankranti seeks the help of WhatsApp, Facebook, and other social networking websites to reach out to their relatives and friends. It gives them happiness and brings more and more people to their best wishes as soon as possible.
१. सूर्य की राशि बदल जाएगी,कुछ के बदलेगी किस्मत,
यह वर्ष का पहला त्योहार होगा,
जब हम सब मिलकर खुशियाँ मनाएँगे
हैप्पी मकर संक्रांति 2019
1. The amount of sun will change,
The fate of some will change,
It will be the first festival of the year,
When we will all celebrate happiness together
Happy Makar Sankranti 2019
गुर और तिल का है यह मौसम,
पतंग उड़ाने का है यह मौसम,
शांति और समृद्धि का है यह मौसम:
2019 मकर संक्रांति की शुभकामनाएँ
2. This season of happiness,
This season is good and sesame,
It's the weather to blow the kite,
This season of peace and prosperity:
2019 Happy Makar Sankranti
३. हो आप के जीवन में खुशहाली
कभी-भी न तो कोई दुख देने वाली पहेली,
सदा खुश रहो तुम और तुम्हारा परिवार:
हैप्पी मकर संक्रांति 2019-2020
3. Be happy in your life
Neither any misery puzzle ever,
Always be happy you and your family:
Happy Makar Sankranti 2019-2020
४. ठण्ड की इस सुबह को हमे नहाना,
क्योंकि संक्रांति का पर्व कर देगा मौसम सुहाना,
कहीं जगह जगह पतंग है उड़ना,
कहीं भी कहीं तिल के लड्डू मिल कर खाना है:
मकर संक्रांति की खुशियां
4. We take a bath this morning,
Because the festival of Sankranti will make the weather pleasant,
Somewhere the place is kite fly,
Somewhere there are sesame laddus together to eat:
The happiness of Makar Sankranti
५. मीठी बोली, मीठी जुबान,
मकर संक्रांति पर यही पैगाम है!
मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएँ
5. Sweet tongue, sweet tongue,
Makar Sankranti is the same thing!
Best wishes to Makar Sankranti
६. पूर्णिमा की चाँद,
रंगों की डोली,
चाँद से चांदनी,
खुशियों से भरी हो आपकी, झोली,
मुबारक हो आपको रंग बिरंगी,
पतंगों वाली मकर संक्रांति
6. Full moon moon
Colored dolly,
Moonlight from the moon,
Yours is full of happiness,
Congratulations you will color,
Kartar Makar Sankranti
७. मीठे गुड में मिल गए तिल,
उदी पतंद और खिल गया दिल,
हर पल खुशी और हर दिन शांति,
आप सब के लिए लये मकर संक्रांति
7. Sweet mellow sesame seeds,
The lid and the blossomed heart,
Every moment of happiness and peace every day,
Makar Sankranti brought to you all
मकर संक्रांति श्री धर्मराज कथा सम्पूर्ण |
मकर संक्रांति श्री धर्मराज कथा सम्पूर्ण
एक समय की बात हैं की नैमिषारण्य मैं सहस्तों -शौनक आदि ऋषि -गण परम श्रद्धा के साथ पुराणो के मर्मज्ञ सूतजी महाराज से पूछने लगे भगवान! हम आपके मुखारविंद से धर्मराजजी की कथा, उसका विधान और माहात्म्य सुनना चाहते हैं, सो आप हमें अनुग्रह करके सुना है | सूत जी बोले - हे ऋषियों! आप लोगो ने मुझे से मनुस्यो के कल्याण कामना से मुझसे ये पूछा हैं - अतः आज मैं आप लोगो को धर्मराज की कथा सुनाता हूँ सभी तीर्थ और व्रत करने से और नाना प्रकार का दान हो देने वाले मनुष्य भी जिनके उद्दापन को किए बिना कोई सुख के दिन नहीं। नहीं हो सकता इस विषय मैं आप लगो को इस लोक मैं खुशी और आगे स्वर्ग की प्राप्ति के लिए धमरगतजी की श्रेष्ठ कथा कहुगा आप लोग विश्वास बनाए रखते श्रवण करे | पूर्व काल की बात हैं की राजा बब्रुवाहन अधिकारी पुर मैं राज्य करता था | वह राजा बड़ा धर्मात्मा, दयालु और गौ, ब्रामण और भक्त पूजक था | उसके राज्य मैं हरिदास विष्णु सेवक बड़ा तेजस्वी था, तन्नुसार उसकी पत्नी भी बहुत सुशील और धर्मवती थी जिसका नाम सुमति था | हरिदास विष्णु सेवक बड़ा तपस्वी था | तदुसर उसकी पत्नी श्री भगवान की भक्त और पतिव्रता थी उसने प्राथमिकता को सभी प्रसिद्द देवताओ के व्रत किए लेकिन धर्मराज की याने धर्मराज नाम से प्रभु की सेवा कभी नहीं की वह गणेश के चन्द्रमा के हरताल में विष्णु के राम-कृष्ण जन्म जन्मतिथि, महाशिवरात्रि आदि शिव जी के सभी व्रत किए गए थे | बड़ी श्रद्धा से एकादशी का व्रत करती हुई यथा शक्ति दान भी करती रहती थी और अतिथि सेवा से कभी बिमुख नहीं हो रही इस प्रकार धर्मपरायण यह वृद्ध अवस्था मैं मृत्यु को प्राप्त हुई तो धर्म चरण के प्रभाव से यम दूतों को पूर्वक धर्मराज के पुर को। ले गया | दक्षिण दिशा में पृथ्वी से कुछ ऊपर अंतरिक्ष में धर्मराज का बड़ा भारी नगर हैं | जो की पापी लोगो को भयभीत हैं धर्मराज का पुर एक हजार योजन का हैं | वह चौकोर हैं और उसके चार द्धारा हैं और वह नाना प्रकार के रत्नों से सोभायमान काई मनुस्य जो पुण्य भोगने गए हैं | निवास कर रहे हैं | स्थान स्थान पर गीत सुनाई देर हैं और दोपहर बज रहे हैं | उस नगर के सात कोट हैं | उसके बीच मैं महासुन्दर धर्मराज जी का मंदिर हैं वह रतनो से बना हुआ हैं और अग्नि बिजली बाल सूर्य के समान चमक रहे हैं उसके दरवाजेो की पेडिया स्पटिक मड़ी की हैं, हर की कड़ियों से आँगन चमक रहे हैं। उसके मध्य मैं अनुपम सुन्दर सिंगासन पर धर्मराज भगवान विराजमान हैं | उनके पास चित्र गुप्तजी का स्थान हैं जो की मृत प्राणियों के पाप का लेखा भगवान धर्मराज को सुनाया करते हैं यमराज के दूत कमती कोसों ले गए उन्हें देख कर वह भयभीत होकर कापन शुरू निचे मुख किये खड़ी गयी चित्र गुप्तजी के साथ उनके पूर्व जनम के किये हुए पाप पुण्य का लेखा जोखा गिरने कर सुनाया धर्मराज जी उस कल्याणति की हरिहर आदि सब देवो मैं और उनके पति मैं भक्ति देखकर प्रसन्न हुए पर कुछ उपसी भी उनके मुख म डल पर झलकती हुई अधती को दिखाई दी धर्मराज जी को उदास देख कर शती ने निवेदन किया की हे प्रभु मेरी समझ मैं कोई दुस्साहस नहीं किया फिर भी आप उदास क्यों हैं इसके कारण बताइये धर्मराज जी ने कहा हे देवी आप वत्त आदि से सब देवो को। टेस्टस्टेड हैं | लेकिन मेरा नाम से आपने कुछ भी दान पुण्य नहीं किया है यह सुनकर शती ने कहा हे भगवान मेरा अपराध छमा करे मैं आप की उपासना नहीं जानती थी अब आप ही बताएं उपाय बताइये जिससे मनुवाद आप के प्रीति के पात्र बन सके तो मैं आपकी भक्ति मार्ग को अपने मुख्य से श्रवण कर वापस मृत्यु लोक मैं जा सकू तो आप को कष्ट देने का उपाए करुँगी धर्मराज ने कहा सूर्य भगवान के उत्तरायण मैं जाते ही हैं जो महापुराण य वती मकर संक्राति आती हैं उस दिन से मेरी पूजा शुरू होनी चाहिए इस प्रकार साल भर मेरी कथा सुने और मेरी पूजा करे इसमें कभी नागा नहीं करेगे आने आने पर भी मेरे धर्म के इन दस अंगो का पालन करता रहा घृत यथा लाभ संत, छमा नियम द्वारा मन को वश मैं करना किसी की वस्तु को नहीं चुराना मन से पर स्त्रियों या पुरुषो से वाना यानि मन की शुध्दि और शारिरिक शुध्दि इन्द्रियों के वसों में रहना बुध्दि की ऋतुओं में रहते हैं। रिता यानि मन मैं बुरे विचार ना आने देना शास्त्र विद्या का स्वाध्याय यानि पाठ पूजा कथा श्रवण या व्रत रखना और तड़ा अनुसार दान पुण्य करना सत्य बोलना सत्यता का ही लक्षण्हार और क्रोध ना करना दो दस धर्म के लक्छण हैं और मेरी इस कथा को नियम से नियम। सदा सुनता रहा पड़ रहा है और यथा शक्ति दान पुण्य और परोपकार करता रहा जब साल भर बाद फिर मकर संक्रांति आवे तब उद्द्यापन कर दे सोने की या असमर्थ हो तो चांदी की ँ बनबामे किसी विद्वान ब्राहमण के द्वारा पूजन हवन आदि करे मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कर पंचामृत से स्नान करा षोडोपचार से उसकी पूजा करे साथ मैं चित्रगुप्त जी की भी पूजा करे व सफ़ेद तिलो के लड्डू का भोग लगावे हमारी पूर्ण पुष्टि के लिए ब्राह्मण को भी भोजन करावे और बॉस की छावरी मैं सवा पांच सेर धान्य जवार जो मुक्तांतर मानी है, किसी मंदिर या ब्राह्मण को भेट करें स्वर्ग मैं चढ़ने। के लिए सोने या चांदी की नसेनी धर्मराज मंदिर मैं दान करे इसके साथ ही सुंदर बानी हुई सईयायम गद्दा और रजाई और तकिया हो इसके अलावा कमतर पादुकाएं लकड़ी या डंडा लोटा डोल पांच कपडे भी धर्मराज के निमित्त और यदि समर्थ हो तोह स्वेत, काली लाल गाय चित्रगुप्त के निमित धर्मराज मंदिर मैं दान करना चाहिए | ये सभी वस्तुए सर्व सादारण के लिए हैं | धनवान व्यक्ति और भी दान करे तोह उत्तम हैं दुती ने धर्मराज जी से प्रार्थना की हे प्रभु यदि ऐसी बात हैं यम दूतों से मुझे छुड़ा कर फिर संसार मैं भेजिए जिससे मैं आपकी कथा का प्रचार कर सकून् ही ही उसकी प्रार्थना पर भगवानराज जी ने देवी को प्रणाम किया। को भू लोक पर वापस जाने स्वीकृति दे दी उसी समय उसके मृत शरीर मैं पुनः प्राणो का संचार हो गया और उसके पुत्र कहने लगे हमारे माता जी भी जीवित हो गए उसके बाद। ुणवती ने अपने पति और पुत्र आदि को सब बाते बताई जो धर्मराज जी ने मनुस्यो के कल्याण के लिए कही थी और शक्ति ने मकर सक्रांति से विधि वत उसने धर्मराज जी की परितदिन पूजा और कथा करते हुए दी और स्वर्ग जाने के लिए दान पुण्य कर्म आदि। भी आरम्भ करने लगी इस प्रकार उचितता वर्ष भर कथा सुनकर धर्म के दस अंगो का पालन कर जब पुनः मृत्यु उपरांत वापस स्वर्ग मैं देवताओ ने उचितता का प्रण किया। और सद स्वगीर्य भोगो को भोगती रही सूतारा ने सनकादिक ऋषियो से कहा हे मुनियो जिस घर मैं स्त्री या पुरुष इस धर्मराज भगवान की व्रत कथा को श्रध्दा पड़े तो वो दुखो से मुक्त हो जाते हैं और सम्पूर्ण दान देने से पाप मुक्त हो जाते हैं | इसमें कोई संसय की बात नहीं हैं की मृत्यु अवधि मैं यमदूत जो लेने आते हैं वह भी उसको बातों पूर्वक ले जाते हैं। और धर्मराज भी उसे सदा सुखी रख रहा है यदि उन लोगों के कुछ पाप बाकी हो तो शीघ्र ही पापनाश का उपाय बताकर शीघ्र ही पाप मुक्त कराने मैं सहायक बनजाते हैं गरुण पुराण आदि मैंने लिखा हैं पापी लोगो को यम दूत भयानक धारण करने देते हैं ले जाते हैं। लेकिन धर्मराज जी की कथा व दान पुण्य धर्म राज मंदिर मैं करते हैं वह मनुस्य यमपूरी मैं भी कष्ट नहीं पाते हैं वह मनुस्य शीघ्र ही स्वर्ग और मोक्ष को प्राप्त होते हैं। होते हैं |
इति श्री सौरपुराणे वैवस्वत खंडेश्री धर्मराज कथा सम्पूर्ण
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